सामाजिक औपचारिकताएं

अब एक हो तो कहूँ । यहाँ तो कभी कभी साँस लेने में सोचना पड़ता है की लोगों को कैसा लगेगा । कहीं आस पास बैठे लोगों को कष्ट ना हो जाए । अब मेट्रो में ही ले लो । हूडा सिटी सेंटर पे जब गाड़ी आयी तो मैं लपक के बैठ गया। जैसे आपनेContinue reading “सामाजिक औपचारिकताएं”